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Showing posts from February, 2019

नेशनल वॉर मेमोरियल से जुड़ी ये ख़ास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन करते हुए कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधना नहीं चूके. उन्होंने इस मौके पर ये कहा है कि कांग्रेस और गांधी परिवार ने कभी सेना की परवाह नहीं की. उन्होंने ये भी कहा कि देश को सोचना होगा कि देश पहले है या परिवार पहले? हम आपको इस मौके पर बताते हैं नेशनल वार मेमोरियल की ख़ास बातों के बारे में- नेशनल वॉर मेमोरियल को नई दिल्ली के इंडिया गेट परिसर में बनाया गया है. यह विभिन्न युद्धों में मारे गए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है. अमर जवान ज्योति के पास 40 एकड़ में फैले इस वॉर मेमोरियल को 176 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. नेशनल वॉर मेमोरियल में अमर जवान ज्योति की तरह ही हर वक्त ज्योति चलती रहेगी. इसमें 1962 के बाद से अब तक विभिन्न युद्धों में मारे गए 25,942 सैनिकों के नाम दर्ज हैं. इनके नाम मेमोरियल परिसर की 16 दीवारों पर दर्ज किए गए हैं. इसे महाभारत के चक्रव्यूह के अंदाज़ में चार चक्र में बनाया गया है- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और रक्षक चक्र. इसके अलावा इस मेमोरियल में राम सुतार के

Unerwarteter Ärger mit dem Eigenheim

Krach um 600 000 Franken Anschlussgebühren nach BaZ-Recherchen beigelegt – Therwil will Reglement revidieren Therwil. Es geht um viel Geld, ungenaue Verträge, Reglemente, die willkürlich wirken und am Rande auch um die umstrittene Scientology-Kirche. Zunächst begann alles in Minne . Die Firma Swiss Immo Trust baute von 2013 bis 2014 an guter Lage in Therwil die schmucke Überbauung Untere Mühle mit 26 Eigentumswohnungen. Doch die Freude an den Eigentumswohnungen verging den Bewohnern in den letzten sechs Monaten – nicht aufgrund der Wohnungen an sich, sondern weil plötzlich Forderungen von insgesamt 600 000 Franken im Raum stehen, mit denen die Stockwerkeigentümer nicht gerechnet haben und die für einige von ihnen kaum aufzubringen sind. Hickhack um Zahlung Bei dem Betrag handelt es sich um die Anschlussgebühren an die Kanalisation und Wasserversorgung der Gemeinde Therwil. Für die Stockwerkeigentümer ist klar: Diese Gebühren muss der ehemalige Bauherr Swiss Immo Trust bezahlen,

उपराज्यपाल किरण बेदी के आवास के बाहर धरने बैठे मुख्यमंत्री

पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने उपराज्यपाल किरण बेदी के ख़िलाफ़ विरोध जताने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का तरीका अपनाते हुए धरना शुरू किया है. नारायणसामी का कहना है कि किरण बेदी ने पुडुचेरी की चुनी हुई सरकार के कई प्रस्ताव रोके हुए हैं जिनमें मुफ़्त चावल देने की योजना भी शामिल है. रास्ता भले ही अरविंद केजरीवाल वाला हो, नारायणसामी के धरने की शैली थोड़ी अलग है. मुख्यमंत्री नारायणसामी और उनके कैबिनेट के सहयोगियों ने धरना देने के लिए उपराज्यपाल के आधिकारिक आवास 'राज निवास' के गेट के सामने वाली सड़क चुनी है. पुडुचेरी में चल रहे इस प्रदर्शन को लेकर ख़ास बात यह है कि पहले मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच चिट्ठियों का आदान-प्रदान हुआ था. बाद में यह नौबत आई कि सीएम समेत पूरा मंत्रिमंडल राज निवास के बाहर धरना दे रहा है. उपराज्यपाल की चिट्ठी पर साढ़े छह बजे का समय है तो वहीं मुख्यमंत्री द्वारा भेजी चिट्ठी पर रात 10 बजे का समय लिखा है. उपराज्यपाल की चिट्ठी सीधे मुख्यमंत्री को सौंपी गई जो काली कमीज़ और काली धोती पहनकर धरना दे रहे हैं. आमतौर पर वह सफ़ेद क

रॉबर्ट वाड्रा से ईडी की पूछताछ, वकील बोले-जब बुलाया जाएगा तब आएंगे

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा से बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के दफ़्तर में करीब छह घंटे तक पूछताछ हुई. वाड्रा को ईडी ने मनी लॉन्डरिंग के मामले में पूछताछ के लिए समन किया था. वाड्रा रात 9.45 बजे के करीब ईडी के दफ़्तर से बाहर आए. वाड्रा से क्या पूछताछ हुई, इस सवाल पर उनके वकील सुमन ज्योति खेतान ने कहा कि जांच जारी होने की वजह से वो इस बारे में कुछ नहीं बता सकते हैं. खेतान ने कहा, "अभी मैं सवालों के बारे में जानकारी नहीं दे सकता क्योंकि जांच जारी है. " रॉबर्ट वाड्रा के वकील ने ये भी कहा कि उन्हें आगे जब भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, वो ईडी के सामने पहुंचेंगे. वकील ने कहा, "हमने अंडरटेकिंग (वचन) दिया है कि अब जब बुलाएंगे, वो (वाड्रा) आएंगे. अगर कल (गुरुवार को) बुलाएंगे तो जरुर आएंगे. जिस दिन बुलाएंगे, वो जरूर आएंगे. उन्होंने एक बार भी ईडी के नोटिस का उल्लंघन नहीं किया है." इसके पहले, दोपहर बाद रॉबर्ट वाड्रा को ईडी दफ़्तर तक उनकी पत्नी और हाल ही में कांग्रेस की महासचिव बनीं प्रियंका गांधी छोड़ने आई थीं. प्रियंका ईडी के दफ़्तर