उपराज्यपाल किरण बेदी के आवास के बाहर धरने बैठे मुख्यमंत्री
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने उपराज्यपाल किरण बेदी के ख़िलाफ़ विरोध जताने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का तरीका अपनाते हुए धरना शुरू किया है.
नारायणसामी का कहना है कि किरण बेदी ने पुडुचेरी की चुनी हुई सरकार के कई प्रस्ताव रोके हुए हैं जिनमें मुफ़्त चावल देने की योजना भी शामिल है.
रास्ता भले ही अरविंद केजरीवाल वाला हो, नारायणसामी के धरने की शैली थोड़ी अलग है. मुख्यमंत्री नारायणसामी और उनके कैबिनेट के सहयोगियों ने धरना देने के लिए उपराज्यपाल के आधिकारिक आवास 'राज निवास' के गेट के सामने वाली सड़क चुनी है.
पुडुचेरी में चल रहे इस प्रदर्शन को लेकर ख़ास बात यह है कि पहले मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच चिट्ठियों का आदान-प्रदान हुआ था. बाद में यह नौबत आई कि सीएम समेत पूरा मंत्रिमंडल राज निवास के बाहर धरना दे रहा है.
उपराज्यपाल की चिट्ठी पर साढ़े छह बजे का समय है तो वहीं मुख्यमंत्री द्वारा भेजी चिट्ठी पर रात 10 बजे का समय लिखा है. उपराज्यपाल की चिट्ठी सीधे मुख्यमंत्री को सौंपी गई जो काली कमीज़ और काली धोती पहनकर धरना दे रहे हैं. आमतौर पर वह सफ़ेद कमीज़ और धोती पहनते हैं.
चिट्ठी में किरण बेदी ने नारायणसामी को 21 फ़रवरी को बातचीत के लिए बुलाया है जबकि मुख्यमंत्री ने लिखा है कि 'वह यहां आकर (राज निवास के गेट से बाहर) हमारे साथ बात क्यों नहीं कर सकतीं.'
सोने से पहले नारायणसामी ने पत्रकारों से कहा, "मैं नहीं कह रहा कि सभी 39 मुद्दे अभी हल हो जाएंगे. मुफ़्त चावल योजना, वेतन का मुद्दा और किसानों का भुगतान करने के लिए चीनी मिलों की नीलामी की इजाज़त जैसे मामले तो सुलझा लेने चाहिए.
रविवार से ही उपराज्यपाल सड़कों पर उतरकर अपने उस आदेश का अनुपालना करवाने लगीं जिसके तहत उन्होंने दो-पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया है. इस कारण नियम का पालन न करने वालों संख्या पिछले तीन दिनों में कई हज़ार तक पहुंच गई है.
इस मामले में मतभेद इस बात को लेकर है कि जहां मुख्यमंत्री का मानना है कि हेलमेट वाले नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहिए, वहीं पूर्व आईपीएस रहीं पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी चाहती हैं कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए.
उनके मुताबिक नियम का पालन न करना 'अदालत की अवमानना' है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से भी हेलमेट के संबंध में आदेश आ चुके हैं.
उपराज्यपाल ने एक वीडियो भी ट्वीट किया था जिसमें वह दोपहिया वाहन चालकों से पूछ रही थीं कि उन्होंने हेलमेट क्यों नहीं पहना.
जवाब में सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने सड़कों पर हेलमेट तोड़कर विरोध जताया. इस घटना के बाद किरण बेदी ने ट्वीट करते हुए सवाल उठाया- ये क़ानून बनाने वाले हैं या क़ानून तोड़ने वाले?
उपराज्यपाल ने पिछली शाम 6:30 बजे मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा और कहा, ''मुझे सूत्रों से पता चला है कि आप अपने 7 फ़रवरी को भेजे गए पत्र के जवाब के लिए बैठे हुए हैं, जिसमें आपने कई मुद्दे उठाए थे. आपको मेरे जवाब के लिए इस तरह इंतजार करने और गैरक़ानूनी तरीके से जवाब मांगने के बजाय राज भवन आना चाहिए था. आपके पद के किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा तरीका इस्तेमाल करने के बारे में कभी नहीं सुना.''
राज्यपाल ने लिखा, ''आपने अपने पत्र में जिन भी मसलों को उठाया है, उन पर विचार करके जवाब देने के लिए जांच किए जाने की ज़रूरत है. यह कहना ग़ैरजरूरी है कि राज निवास में कई मामले लंबित पड़े हैं (जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है). इसके अलावा आपने पत्र में ये कभी नहीं लिखा था कि अगर 13 फ़रवरी तक जवाब नहीं दिए गए तो आप और आपके सहकर्मी धरने पर बैठ जाएंगे.''
पत्र में लिखा है, ''हालांकि, मैं आपके मसलों पर विस्तारपूर्वक चर्चा के लिए आपको 21 फ़रवरी सुबह 10 बजे आने के लिए आमंत्रित करती है. कृपया पुष्टि करें.''
नारायणसामी का कहना है कि किरण बेदी ने पुडुचेरी की चुनी हुई सरकार के कई प्रस्ताव रोके हुए हैं जिनमें मुफ़्त चावल देने की योजना भी शामिल है.
रास्ता भले ही अरविंद केजरीवाल वाला हो, नारायणसामी के धरने की शैली थोड़ी अलग है. मुख्यमंत्री नारायणसामी और उनके कैबिनेट के सहयोगियों ने धरना देने के लिए उपराज्यपाल के आधिकारिक आवास 'राज निवास' के गेट के सामने वाली सड़क चुनी है.
पुडुचेरी में चल रहे इस प्रदर्शन को लेकर ख़ास बात यह है कि पहले मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच चिट्ठियों का आदान-प्रदान हुआ था. बाद में यह नौबत आई कि सीएम समेत पूरा मंत्रिमंडल राज निवास के बाहर धरना दे रहा है.
उपराज्यपाल की चिट्ठी पर साढ़े छह बजे का समय है तो वहीं मुख्यमंत्री द्वारा भेजी चिट्ठी पर रात 10 बजे का समय लिखा है. उपराज्यपाल की चिट्ठी सीधे मुख्यमंत्री को सौंपी गई जो काली कमीज़ और काली धोती पहनकर धरना दे रहे हैं. आमतौर पर वह सफ़ेद कमीज़ और धोती पहनते हैं.
चिट्ठी में किरण बेदी ने नारायणसामी को 21 फ़रवरी को बातचीत के लिए बुलाया है जबकि मुख्यमंत्री ने लिखा है कि 'वह यहां आकर (राज निवास के गेट से बाहर) हमारे साथ बात क्यों नहीं कर सकतीं.'
सोने से पहले नारायणसामी ने पत्रकारों से कहा, "मैं नहीं कह रहा कि सभी 39 मुद्दे अभी हल हो जाएंगे. मुफ़्त चावल योजना, वेतन का मुद्दा और किसानों का भुगतान करने के लिए चीनी मिलों की नीलामी की इजाज़त जैसे मामले तो सुलझा लेने चाहिए.
रविवार से ही उपराज्यपाल सड़कों पर उतरकर अपने उस आदेश का अनुपालना करवाने लगीं जिसके तहत उन्होंने दो-पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया है. इस कारण नियम का पालन न करने वालों संख्या पिछले तीन दिनों में कई हज़ार तक पहुंच गई है.
इस मामले में मतभेद इस बात को लेकर है कि जहां मुख्यमंत्री का मानना है कि हेलमेट वाले नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहिए, वहीं पूर्व आईपीएस रहीं पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी चाहती हैं कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए.
उनके मुताबिक नियम का पालन न करना 'अदालत की अवमानना' है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से भी हेलमेट के संबंध में आदेश आ चुके हैं.
उपराज्यपाल ने एक वीडियो भी ट्वीट किया था जिसमें वह दोपहिया वाहन चालकों से पूछ रही थीं कि उन्होंने हेलमेट क्यों नहीं पहना.
जवाब में सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने सड़कों पर हेलमेट तोड़कर विरोध जताया. इस घटना के बाद किरण बेदी ने ट्वीट करते हुए सवाल उठाया- ये क़ानून बनाने वाले हैं या क़ानून तोड़ने वाले?
उपराज्यपाल ने पिछली शाम 6:30 बजे मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा और कहा, ''मुझे सूत्रों से पता चला है कि आप अपने 7 फ़रवरी को भेजे गए पत्र के जवाब के लिए बैठे हुए हैं, जिसमें आपने कई मुद्दे उठाए थे. आपको मेरे जवाब के लिए इस तरह इंतजार करने और गैरक़ानूनी तरीके से जवाब मांगने के बजाय राज भवन आना चाहिए था. आपके पद के किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा तरीका इस्तेमाल करने के बारे में कभी नहीं सुना.''
राज्यपाल ने लिखा, ''आपने अपने पत्र में जिन भी मसलों को उठाया है, उन पर विचार करके जवाब देने के लिए जांच किए जाने की ज़रूरत है. यह कहना ग़ैरजरूरी है कि राज निवास में कई मामले लंबित पड़े हैं (जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है). इसके अलावा आपने पत्र में ये कभी नहीं लिखा था कि अगर 13 फ़रवरी तक जवाब नहीं दिए गए तो आप और आपके सहकर्मी धरने पर बैठ जाएंगे.''
पत्र में लिखा है, ''हालांकि, मैं आपके मसलों पर विस्तारपूर्वक चर्चा के लिए आपको 21 फ़रवरी सुबह 10 बजे आने के लिए आमंत्रित करती है. कृपया पुष्टि करें.''
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