उर्मिला मातोंडकर ने राजनीति में आने के लिए कांग्रेस को ही क्यों चुना?
बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर की अब एक पहचान और भी है. कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने के साथ ही वो सक्रिय राजनेता बन गई हैं.
कांग्रेस पार्टी ने उर्मिला मातोंडकर के उत्तरी मुंबई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की आधिकारिक घोषणा कर दी है. 29 मार्च को उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली थी.
लेकिन अचानक उर्मिला ने राजनीति में आने का फ़ैसला कैसे ले लिया और अपने राजनीतिक करियर के लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ही क्यों चुना?
ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका स्पष्ट जवाब अभी भी नहीं मिल सका है. इन्हीं जवाबों को जानने के लिए बीबीसी मराठी के संवाददाता मयूरेश कुण्णूर ने कांग्रेस नेता उर्मिला मातोंडकर से बात की.
सवाल : बॉलीवुड में एक कामयाब करियर देखने के बाद अचानक से राजनीति में आने का मन कैसे बना? जबकि इससे पहले कभी भी आपका नाम राजनीति के सिलसिले में सामने नहीं आया...अचानक से ये फ़ैसला क्यों?
जवाब : इसकी एकमात्र वजह हमारे देश की मौजूदा स्थिति है. मौजूदा वक़्त में जो हालात हैं उन्हें देखकर कहीं से ये नहीं लगता है कि ये वही देश है जहां सबको साथ लेकर चलने की बात की जाती थी. हमारे यहां स्कूली किताबों में लिखा जाता है कि हम सभी भाई-बहन हैं और मिलकर रहें लेकिन बीते पांच सालों में यह सब बदल गया है. नफ़रत की राजनीति ने सबकुछ बदल दिया है. मुझे लगता है कि मुझसे मेरे लोकतांत्रिक अधिकार छीने जा रहे हैं और मैं इसी के ख़िलाफ़ राजनीति में आई हूं.
सवाल : लेकिन राजनीति में आने का फ़ैसला अभी क्यों लिया? बीते पांच सालों में जब बॉलीवुड के ही कई लोगों ने आवाज़ उठाई तो आप क्यों खामोश थीं? आपने उस वक़्त आवाज़ क्यों नहीं उठाई?
जवाब :अगर मैं अपने बारे में कहूं तो मैं बहुत ही अपने में रहने वाली इंसान हूं, लेकिन ऐसा नहीं है कि मेरा कोई मत नहीं था या मेरी कोई राय नहीं थी. मैं सोचती हमेशा थी चुनावों के ठीक पहले एक आम आदमी को अपने मताधिकार की महत्ता सामने रखने का मौक़ा मिलता है और ऐसे में लोगों को चुनने के लिए विकल्प होना चाहिए. अभी तो कुछ इस तरह की स्थिति बना दी गई है जैसे एक ही व्यक्ति पूरे देश को चला रहा है, वही सबकुछ है. एक ही पार्टी है जैसे इससे पहले कोई पार्टी ही नहीं थी देश में.
सवाल : आप एक ही आदमी, एक ही पार्टी की बात करती हैं लेकिन यही आरोप तो कांग्रेस पार्टी को लेकर भी लगते रहे हैं कि वहां सिर्फ़ गांधी परिवार ही सर्वेसर्वा है?
जवाब : गांधी परिवार के हर सदस्य ने अपने-अपने पद के अनुसार अपनी-अपनी भूमिकाओं का निर्वहन किया है. लेकिन दूसरे पक्ष ने पांच सालों में क्या अपने दायित्व को पूरा किया? सवाल परिवार का नहीं दायित्व निभाने का है. जिस स्तर के वादे किये गए क्या वो पूरे हुए हैं? बेरोज़गारी जिस तरह से बढ़ी है क्या पहले कभी थी...? जिस संख्या में किसानों ने आत्महत्या की क्या उतनी संख्या में कभी किसान मरे थे?
सवाल : क्या आपका कांग्रेस पार्टी से कोई पारिवारिक नाता रहा है?
जवाब : नहीं...कांग्रेस पार्टी से मेरा पारिवारिक तो नहीं लेकिन उससे भी बढ़कर वैचारिकता का नाता है. वो सोच का नाता है. मुझे लगता है कि जहां आपकी सोच मिलती हो, वो नाता सबसे ख़ास हो जाता है इसलिए कांग्रेस पार्टी को चुना.
सवाल : बतौर उम्मीदवार जब से आपके नाम की घोषणा हुई है तब से आपके व्यक्तिगत जीवन को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें हो रही हैं. आपके पति को लेकर कहा जा रहा है कि वो पाकिस्तान से हैं. इन सारी बातों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब : मैं इन सब पर कुछ भी नहीं कहना चाहती हूं. लेकिन अच्छी बात ये है कि इन सबके चलते और भी बहुत सी बातें खुलकर सामने आ गई हैं. नफ़रत की राजनीति का रूप खुलकर सामने आ गया है.
सवाल : तो क्या आप इन सारी बातों के लिए बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार मानती हैं?
जवाब : इसके पीछे उनकी आईटी मशीनरी निश्चित तौर पर है और बहुत सारा पैसा ख़र्च किया जा रहा है. इससे पहले इस देश की राजनीति इस स्तर तक कभी भी नहीं गिरी थी. जिस तरह से वो लोग प्रचार कर रहे हैं या पहले किया, ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ था.
कांग्रेस पार्टी ने उर्मिला मातोंडकर के उत्तरी मुंबई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की आधिकारिक घोषणा कर दी है. 29 मार्च को उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली थी.
लेकिन अचानक उर्मिला ने राजनीति में आने का फ़ैसला कैसे ले लिया और अपने राजनीतिक करियर के लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ही क्यों चुना?
ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका स्पष्ट जवाब अभी भी नहीं मिल सका है. इन्हीं जवाबों को जानने के लिए बीबीसी मराठी के संवाददाता मयूरेश कुण्णूर ने कांग्रेस नेता उर्मिला मातोंडकर से बात की.
सवाल : बॉलीवुड में एक कामयाब करियर देखने के बाद अचानक से राजनीति में आने का मन कैसे बना? जबकि इससे पहले कभी भी आपका नाम राजनीति के सिलसिले में सामने नहीं आया...अचानक से ये फ़ैसला क्यों?
जवाब : इसकी एकमात्र वजह हमारे देश की मौजूदा स्थिति है. मौजूदा वक़्त में जो हालात हैं उन्हें देखकर कहीं से ये नहीं लगता है कि ये वही देश है जहां सबको साथ लेकर चलने की बात की जाती थी. हमारे यहां स्कूली किताबों में लिखा जाता है कि हम सभी भाई-बहन हैं और मिलकर रहें लेकिन बीते पांच सालों में यह सब बदल गया है. नफ़रत की राजनीति ने सबकुछ बदल दिया है. मुझे लगता है कि मुझसे मेरे लोकतांत्रिक अधिकार छीने जा रहे हैं और मैं इसी के ख़िलाफ़ राजनीति में आई हूं.
सवाल : लेकिन राजनीति में आने का फ़ैसला अभी क्यों लिया? बीते पांच सालों में जब बॉलीवुड के ही कई लोगों ने आवाज़ उठाई तो आप क्यों खामोश थीं? आपने उस वक़्त आवाज़ क्यों नहीं उठाई?
जवाब :अगर मैं अपने बारे में कहूं तो मैं बहुत ही अपने में रहने वाली इंसान हूं, लेकिन ऐसा नहीं है कि मेरा कोई मत नहीं था या मेरी कोई राय नहीं थी. मैं सोचती हमेशा थी चुनावों के ठीक पहले एक आम आदमी को अपने मताधिकार की महत्ता सामने रखने का मौक़ा मिलता है और ऐसे में लोगों को चुनने के लिए विकल्प होना चाहिए. अभी तो कुछ इस तरह की स्थिति बना दी गई है जैसे एक ही व्यक्ति पूरे देश को चला रहा है, वही सबकुछ है. एक ही पार्टी है जैसे इससे पहले कोई पार्टी ही नहीं थी देश में.
सवाल : आप एक ही आदमी, एक ही पार्टी की बात करती हैं लेकिन यही आरोप तो कांग्रेस पार्टी को लेकर भी लगते रहे हैं कि वहां सिर्फ़ गांधी परिवार ही सर्वेसर्वा है?
जवाब : गांधी परिवार के हर सदस्य ने अपने-अपने पद के अनुसार अपनी-अपनी भूमिकाओं का निर्वहन किया है. लेकिन दूसरे पक्ष ने पांच सालों में क्या अपने दायित्व को पूरा किया? सवाल परिवार का नहीं दायित्व निभाने का है. जिस स्तर के वादे किये गए क्या वो पूरे हुए हैं? बेरोज़गारी जिस तरह से बढ़ी है क्या पहले कभी थी...? जिस संख्या में किसानों ने आत्महत्या की क्या उतनी संख्या में कभी किसान मरे थे?
सवाल : क्या आपका कांग्रेस पार्टी से कोई पारिवारिक नाता रहा है?
जवाब : नहीं...कांग्रेस पार्टी से मेरा पारिवारिक तो नहीं लेकिन उससे भी बढ़कर वैचारिकता का नाता है. वो सोच का नाता है. मुझे लगता है कि जहां आपकी सोच मिलती हो, वो नाता सबसे ख़ास हो जाता है इसलिए कांग्रेस पार्टी को चुना.
सवाल : बतौर उम्मीदवार जब से आपके नाम की घोषणा हुई है तब से आपके व्यक्तिगत जीवन को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें हो रही हैं. आपके पति को लेकर कहा जा रहा है कि वो पाकिस्तान से हैं. इन सारी बातों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब : मैं इन सब पर कुछ भी नहीं कहना चाहती हूं. लेकिन अच्छी बात ये है कि इन सबके चलते और भी बहुत सी बातें खुलकर सामने आ गई हैं. नफ़रत की राजनीति का रूप खुलकर सामने आ गया है.
सवाल : तो क्या आप इन सारी बातों के लिए बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार मानती हैं?
जवाब : इसके पीछे उनकी आईटी मशीनरी निश्चित तौर पर है और बहुत सारा पैसा ख़र्च किया जा रहा है. इससे पहले इस देश की राजनीति इस स्तर तक कभी भी नहीं गिरी थी. जिस तरह से वो लोग प्रचार कर रहे हैं या पहले किया, ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ था.
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