किसान बेहाल, मंदी से युवा परेशान, फिर भी मोदी पर मेहरबान: ग्राउंड रिपोर्ट

"कैन्डीडेट को वोट नहीं है, मोदी को वोट है. बीजेपी को भी वोट नहीं है, हमारी तरफ़ से तो मोदी को वोट है. चुनाव में बस मोदी ही मोदी है."

"हमें तो मोदी के सारे ही काम अच्छे लग रहे हैं. उसने नोटबंदी भी की तो हमें अच्छी लगी. हमारे देश को दुनिया में चौथे नंबर पर ले आया. हमें ये भी अच्छा लगा. अब ये मुल्ला कुछ भी गाये जाएं बस इन्हें ही अच्छा नहीं लग रहा. बाक़ी सबको अच्छा लग रहा है."

"काम का मंदा है. ऐसा लग रहा जैसे उद्योगपतियों ने काम में पैसा लगाना बंद कर दिया है, मुझे यही शक होता है."

ये राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से कुछ ही दूर दादरी के पास एक गांव के अगड़ी जाति के लोगों की राय है. ये इलाक़ा गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र में आता है.

राष्ट्रवाद क्या है ये पूछने पर वो कहते हैं, "देश के प्रति प्रेम ही राष्ट्रवाद है. लोगों को मोदी ने ही जागरूक किया है. अभी तक लोग सोए हुए थे. मोदी ने सबको जगा दिया है. बच्चे बच्चे को बता दिया है कि राष्ट्रवाद क्या है और वोट का अधिकार क्या है. मुझे ख़ुद ये सब पता नहीं था."

वो कहते हैं, "इस समय सब जागरूक हैं, देश पर मरने मिटने को तैयार हैं, वो लोग ग़लत हैं जो भारतीय सेना पर, एयरस्ट्राइक पर सवाल उठा रहे हैं. पाकिस्तान माने न माने, विरोधी माने न मानें लेकिन देश को विश्वास है."

पेशे से ड्राइवर ऋषिपाल ठाकुर इस समय काम की मंदी झेल रहे हैं. वो कहते हैं, "काम पहले से आधा है. मंदी के बावजूद घर चल रहा है लेकिन अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर बहुत दिक़्क़त होगी."

ऋषिपाल कहते हैं, "मेरे लिए बेरोज़गारी या काम की मंदी कोई मुद्दा नहीं है. कई बार बच्चों की फ़ीस भरने में भी दिक़्क़त हुई फिर भी मेरे लिए सिर्फ़ राष्ट्रवाद मुद्दा है. हम लोग ऐसी मंदी अगले पांच साल भी झेलने को तैयार हैं."

क्या हिंदुत्व चुनाव में मुद्दा है. ये पूछने पर वो कहते हैं, "यही मूल मुद्दा है. ये शरम की बात है कि आज़ादी के बाद से अब तक इस हिंदु बहुल देश को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया. इसकी उम्मीद हमें मोदी से ही है. हमें राम मंदिर की भी ज़रूरत नहीं हैं. हमें हिंदू राष्ट्र चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून चाहिए."

हिंदू और राष्ट्रवाद की बात कर रहे इन लोगों ने पास ही टायर पंचर का काम कर रहे मुसलमान नौजवान मुनव्वर ख़ान पर कई बार पाकिस्तान जाने का तंज़ मारा. इस तंज़ में हास्य भी था और अपनापन भी.

मुनव्वर के लिए महंगाई और बेरोज़गारी बड़ा मुद्दा है और वो मोदी के विरोध में मतदान करना चाहते हैं. राष्ट्रवाद की बातें उन्हें शोर लगती हैं.

वो कहते हैं, "मेरी नज़र में मोदी ने सबसे बड़ा काम ये किया है कि उन्होंने डाटा फ्री कर दिया है. पब्लिक जो जागरूक हुई है उसका मेन रीज़न है डाटा. आज की डेट में हमारे पास जो सेलफ़ोन है उससे हम कैसी भी ख़बर कहीं भी ले सकते हैं. चाहें फिर अनपढ़ हों या पढ़े लिखे. सबसे मेन चीज़ ये फ्री डाटा है."

श्याम बाबू यहीं की एक फ़ैक्ट्री में मज़दूरी करते हैं और इटावा के रहने वाले हैं. भारत सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनके कच्चे मकान को पक्का बनवा दिया है.

श्याम बाबू कहते हैं, "मेरा मकान बन गया, मुझे और कुछ नहीं चाहिए. मेरे लिए मोदी ही सब कुछ हैं. मैं मोदी को विकास के लिए वोट दूंगा."

दादरी क्षेत्र का बिसाहड़ा गांव यहां से कुछ ही दूर है. साल 2015 में अख़लाक़ की हिंसक भीड़ के हाथों हत्या के बाद ये चर्चा में आया था और इसी हत्याकांड के बाद भारत में अल्पसंख्यकों की लिंचिंग पर बहस शुरू हुई थी.

बीते कुछ सालों में गौरक्षा एक बड़ा मुद्दा बना है. प्रदेश की सरकार गौहत्या को लेकर बेहद सख़्त है और लोगों ने गायों को कहीं लाना-ले जाना तक बंद कर दिया है. इसका नतीजा ये हुआ कि किसान अपने पशुओं को जंगलों में छोड़ने पर मजबूर हो गए.

आवारा गायें और बछड़े फ़सलों को बर्बाद कर रहे थे जिससे किसानों में नाराज़गी थी. लेकिन अब यहां को लोगों को थोड़ा राहत है.

बीते कुछ महीनों में जगह-जगह गौशालाएं खुल गई हैं. ऐसी ही एक गौशाला बिसाहड़ा में भी ग्राम प्रधान के सौजन्य से खोली गई है जिसमें क़रीब तीन सौ आवारा पशु रह रहे हैं.

यहीं काम करने वाले विनोद ठाकुर कहते हैं, "गौशाला बनने की वजह से किसानों की नाराज़गी कुछ कम हुई है. अगर ये गायें यहां बंद न होती तो आसपास के इलाक़े में फ़सलें ही न हो पातीं."

विनोद के मुताबिक़ फ़िलहाल किसानों को राहत है. वो कहते हैं कि ये गौशाला निजी प्रयास से चल रही है और फ़सल कटने के बाद गायों को फिर से जंगल में छोड़ा जा सकता है.

विनोद कहते हैं, "आवारा पशुओं को लेकर किसानों में नाराज़गी तो है लेकिन इतनी नहीं कि वो बीजेपी के ख़िलाफ़ मतदान कर दें."

दादरी के इस गांव से कुछ किलोमीटर आगे ही ग़ाज़ियाबाद लोकसभा क्षेत्र का निधावली गांव हैं. यहां सरकारी स्कूल पर लगे नीले बोर्ड पर लिखा है, "द ग्रेट जाटव ग्राम निधावली."

यहां अधिकतर दलित समुदाय के लोग रहते हैं. यहां के युवाओं में अपने आप के जाटव होने पर गर्व का नया भाव है.

एक स्थानीय युवा कहते हैं, "हम जाटव हैं, हमारा वोट मायावती का है और उन्हीं का रहेगा. हम अपनी जाति के लिए वोट करते हैं. इसके अलावा हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है. हम मर भी जाएंगे तब भी मायावती से अलग वोट नहीं देंगे."

यहां मैंने जितने भी युवाओं या बुज़ुर्गों से बात की सभी की भावना यही थी. बोर्ड के बारे में सवाल पूछने पर एक बुज़ुर्ग कहते हैं, "ये हमने अपने लिए लगाया है, किसी को अच्छा लगे या न लगे."

वो कहते हैं, "पहले हमसे मज़दूरी करवाकर पैसे नहीं देते थे. लेकिन अब जागरूकता आ गई है. अब हम डांट कर अपनी मज़दूरी का पैसा मांगते हैं."

ये दलित मतदाता मायावती के साथ मज़बूती से जुड़े हैं. एक बुज़ुर्ग दलित महिला कहती हैं, "देखो भैया हम तो मायावती को ही वोट देंगे. हम मायावती के ही हैं. चाहे कोई हमें लाख दो लाख रुपए दे दे लेकिन हम अपना वोट मायावती से अलग नहीं देंगे."

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का इलाक़ा अपनी बेहद उपजाऊ ज़मीन के लिए भी जाना जाता है. बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के चुड़ियाली गांव में मेरी मुलाक़ात कुछ किसानों से हुई जो फ़सल के कम दामों से तो नाराज़ हैं लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर वोट देने का मन बना चुके हैं.

किसान हरजीत सिंह कहते हैं, "गन्ने का रेट न बढ़ने से किसान नाराज़ है जी. बीजेपी से उम्मीद थी कि कुछ करेगी लेकिन उसने भी कुछ नहीं किया. दूसरी पार्टियों की तरह ही रह गई फ़सल का दाम नहीं मिल रहा है. किसान का मनोबल टूटा हुआ है लेकिन फिर भी मोदी की वजह से बीजेपी को वोट दे रहे हैं."

किसान रूपेंद्र सिंह कहते हैं, "बीजेपी ने किसानों के लिए कुछ ख़ास नहीं किया है. फ़सल के दाम वहीं हैं लेकिन दवाई, खाद और डाई के दाम बढ़ गए हैं. आवारा पशुओं ने जीना हराम कर दिया है. लेकिन फिर भी हम बीजेपी को वोट दे रहे हैं क्योंकि मोदी जी ने पुलवामा का बदला लिया है."

युवा किसान प्रमोद चौधरी ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. वो दिल्ली के एक पांच सितारा होटल की नौकरी छोड़ने के बाद अब गांव में खेती कर रहे हैं. बेरोज़गारी उनके लिए बड़ा मुद्दा है.

वो कहते हैं, "आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख बढ़ रही है. हमें ऐसा ही नेता चाहिए जो दुनियाभर में हमारा क़द ऊंचा कर सके. मोदी जी ऐसा कर रहे हैं इसलिए मैं उनका समर्थन कर रहा हूं."

वो कहते हैं, "लेकिन ज़रूरी नहीं है कि हम लोग मोदी जी का समर्थन करते ही रहें. हमारी सीट पर बेहद ख़राब उम्मीदवार उतारा है. हर बार हम मोदी के नाम पर ही वोट नहीं दे सकते. अगर अबकी बार हालात नहीं बदले तो ये जनता है, मोदी को भी लात मार देगी."

Comments

Popular posts from this blog

अकबर की तरफ से दलील- 40 साल में बनी छवि को महिलाओं के ट्वीट नुकसान पहुंचा रहे

دمشق تعلن التصدّى لغارات إسرائيلية والمعارضة تؤكد أن المستهدف قائد فيلق القدس

世卫争议、被查的中国公安部副部长和本周更多重要故事